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लेखनी प्रतियोगिता -21-Jul-2023 कभी धूप कभी छांव

 

                                 कभी  धूप कभी छांव

           "मम्मी आप जैसी सारी दुनियाँ के लोग होजाय तो कितना अच्छा होजाता। आपके साथ हमारी मौसी ने कितना गलत किया था परन्तु आपने कभी कोई  शिकायत  नहीं की । कोई  दूसरा होता तो उनसे मिलना तो दूर बात भी नहीं करता। एक आप  हैं जो सब भूलकर उनके पास जारही हो?", नकुल अपनी मम्मी की  तारीफ करता हुआ  बौला।

         "  नकुल हमारी जिन्दगी धूप छांव की तरह है।यहाँ कभी सुख है तो कभी दुःख आते हैं। और हम सब की आदत भी एक जैसी नहीं होती है। फिर भी सीमा कैसी भी है परन्तु है तो अपनी? वह समय याद करके आज भी चिन्ता की लकीर उभर आती है। ऐसे बुरे समय में सीमा ने  हमारे सिर पर जो हाथ रखा था आज हम उसके कारण यहाँ पर हैं। उस समय तेरे ताऊजी ने अपने साथ रखने के लिए साफ मना कर दिया था। तब मै सभी के चेहरे देख रही थी।"",  इतना कहते ही नन्दिनी की आँखौ में पानी भर आया था।

          " फिर क्या हुआ  मम्मी ?" नकुल ने मम्मी से  पूछा।

          " होना क्या था बेटा? सब अपनी नजर नीचे झुकाकर  शान्त होगये थे तब केवल  सीमा ही बोली थी कि दीदी तुम मेरे घर रहोगी  जब तक पैन्शन नही बंध जाती तुम और नकुल मेरी जिम्मेदारी हो।",नन्दिनी ने नकुल को समझाया।

              नकुल के  पापा तीन भाई थे सुरेश  बीच का था।  बड़े का नाम सहदेव व सबसे छोटे का नाम महेश था।तीन भाईयौ की शादी होगई  थी । इनके मम्मी पापा एक हादसे में गुजर गए  थे  सबसे छोटे ने प्रेम विवाह  किया था इसलिए  वह शादी के बाद परिवार से अलग होगया था।

          सहदेव व सुरेश एक ही मकान में रहते थे। सुरेश पुलिस में सिपाही था।  एक सड़क  हादसे में सुरेश की मौत होगई।  नन्दिनी पर तो मुसीबतौ का पहाड़ टूट पड़। 

       उस समय नकुल  केवल पांच वर्ष  का था। नन्दिनी   बहुत कठिनाई  से पति का अंतिम संस्कार  कर  सकी थी। अब नन्दिनी को अपने बेटे की परवरिश  की समस्या आगई।  नन्दिनी के जेठ ने तो साफ मना करके पल्ला झाड़ लिया।

           उस समय नन्दिनी की बहिन सीमा ने  उसे सहारा दिया था। नन्दिनी की उस समय अच्छा बुरा सोचने की स्थिति नहीं थी इस लिए  वह चुपचाप अपनी बहिन के घर चली आई। 

           सीमा का स्वभाव काफी तेज था। उसने नन्दिनी की मजबूरी का पूरा फायदा उठाया।  उसने धीरे धीरे नन्दिनी को घर का सारा काम देदिया।  एक तरह से उसे नौकरानी बना दिया। नन्दिनी की मजबूरी का पूरा फायदा उठाया।

          सीमा स्वयं सजधज कर बाजार में एश करती थी जबकि नन्दिनी घर के काम में लगी रहती थी। अब धीरे धीरे  नकुल भी बड़  हो रहा था। वह भी समझने लगा था कि उसकी मौसी उनकी मजबूरी का फायदा उठा रही है। जब वह अपनी मां से  कहता था कि आप इतना क्यौ सहन कर रही हो तब वह उसे चुप करा देती थी। और कहती थी कि समय की प्रतीक्ष  करो ।

          नकुल चुप होजाता था। जब  वह अच्छी जाब पर लग गया  तब मां को साथ लेजाने के लिए  आया था। परन्तु उसकी मौसी उलाहना देती हुई  बोली,"नकुल  तू दीदी को साथ लेजाना चाहता है ? लेजा अब तेरी नौकरी लग गई  अब हमारी जरूरत कहाँ रह गई  है। मतलब निकल गया। अब मौसी की परवाह कौन करेगा। मौसी मरे या जीवित रहे।"

         सीमा की कडवी  बातें सुनकर नन्दिनी बेटे के साथ नहीं गई।  परन्तु एक बार नकुल अपनी मां से मिलने आया था तब किसी बात पर उसने अपनी मौसी को मम्मी को बुरी तरह डांटते हुए  देखलिया था। नकुल उसी दिन अपनी  मां को अपने साथ लेगया था। तब सीमा ने उन दोंनो को अपने घर आने के लिए  मना कर दिया था।  उस  दिन के बाद नकुल मौसी के पास नहीं गया था और नन्दिनी को भी नहीं जाने दिया था।

       उसके बाद वह मौसी के पास आज मां के साथ मिलने जारहा था क्यौकि सीमा  को कैन्शर  होगया था वह अपने जीवन  की अंतिम घड़िया गिन रही थी।

       जब वह दोंनो वहाँ पहुँचे तब सीमा का हाल देखकर नन्दिनी बहुत दुःखी हुई।  क्यौकि सीमा की चारपाई  एक छोटे से कमरे मैं डाल रखी थी। उसके पास कोई  नहीं आता था। बहू बेटा  उसी कमरे में खाना दिखाते थे

        नन्दिनी को देखकर सीमा खूब रोई  और अपनी गल्तियौ की हाथ जोड़कर  मांगी मांगने लगी। नन्दिनी ने उसके हाथ पकड़कर  उसे अपनी छाती से लगाकर लिया और बोली," पगली  ऐसा नहीं करते। तू अब मेरे साथ जायेगी मै तेरी सेवा करूँगी।

           नन्दिनी ने किसी की नहीं सुनी वह सीमा को अपने साथ लेकर गई सीमा ने अंतिम सांस भी नन्दिनी की गोद में ही ली।

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना
नरेश शर्मा "पचौरी"

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5 Comments

RISHITA

23-Jul-2023 12:43 PM

Amazing

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Babita patel

22-Jul-2023 10:32 AM

Very nice

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Abhinav ji

22-Jul-2023 09:11 AM

Very nice 👍

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